दिन-ब-दिन जितने अधिक उन्नत हुए

दिन-ब-दिन जितने अधिक उन्नत हुए धीरे धीरे गुण सभी अपहृत हुए   ज्ञान बिन हम इस तरह आहत हुए राम के बिन ज्यों व्यथित दशरथ हुए   राजनीति के मुकुट को धार कर सन्त भी अज्ञान में मदमत्त हुए   सूर्य अपनी रौशनी ख़ुद पी गया सारे मज़हब धुन्ध की इक छत हुए   काल … Continue reading दिन-ब-दिन जितने अधिक उन्नत हुए